पद्धति में उल्लिखित चरण मुख्यत: इस प्रकार हैं :
1. प्रारंभिक आवेदन (पीए) की प्राप्ति।
2. मुख्यत: यह तय करने के लिए कि क्या उत्पाद पीएसी के क्षेत्राधिकार के भीतर प्रमाणन योग्य है, आवेदन स्वीकृति मानदण्डों के तहत मूल्यांकन।
3. यदि यह निश्चित हो जाए कि उत्पाद प्रमाणन योग्य है, तो उत्पाद/प्रक्रिया/विनिर्माण विशेष के संबंध में विस्तृत आवेदन पत्र (डीएएफ) तैयार किया जाता है और उसे आवेदक को भेजा जाता है। इसका उद्देश्य आवेदक के दावे का अध्ययन करने, मूल्यांकन के क्षेत्र का निर्धारण करने तथा मूल्यांकन के ब्यौरे तैयार करने और मूल्यांकन प्रलेखन तैयार करने के लिए सूचना/डाटा प्रलेखन एकत्रित करना है।
4. आवेदक से प्राप्त विस्तृत आवेदन का मूल्यांकन किया जाता है और पीएसी के तहत प्रमाणन योग्यता के बारे में निर्णय लिया जाता है। आवेदक को ऐसे अनेक दस्तावेज संलग्न करने होते हैं जो डीएएफ में सूचीबद्ध हैं। यदि यह पाया जाता है कि उत्पाद, पीएसी के तहत प्रमाणन योग्य नहीं है तो आवेदक को सुझावों, यदि कोई हो, जिनका नया आवेदन प्रस्तुत करने से पहले उसके द्वारा पालन किया जाना है, के साथ सूचित किया जाता है।
5. प्रमाणन योग्य पाए जाने पर, बीएमटीपीसी तथा आवेदक के बीच मूल्यांकन का दायरा तय किया जाता है, अदा योग्य शुल्क तय किया जाता है और करार किया जाता है।
6. विस्तृत मूल्यांकन दस्तावेज तैयार किए जाते हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :
- लागू मानकों की सूची -- मूल्यांकित किए जाने वाले मानदंडों सहित भारतीय, अंतर्राष्ट्रीय, बीएमटीपीसी आवेदक, कम्पनी मानक आदि। यदि मानक उपलब्ध न हों तो उन्हें आवेदक द्वारा तैयार किया जाता है।
- मूल्यांकन पद्धतियां -- संस्थापनों, फैक्टरी आदि के निरीक्षण सहित।
लिए जाने वाले नमूने और की जाने वाली जांच, जहां आवश्यक हो प्रयोगात्मक मॉडल की जांच।
- पर्यावरण/ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट सामग्री उपयोग, ध्यान दिए जाने वाले/विचार किए जाने वाले/ मूल्यांकित किए जाने वाले सांविधिक विनियमों से संबंधित लागू हो सकने वाले पहलु।
- पीएसी की मसौदा विषय-वस्तु
7. विनिर्माण की पर्याप्तता का मूल्यांकन तथा यंत्रों तथा सुविधाओं करने, फैक्ट्री में नमूना जांच, नमूना लेने के लिए विशेषज्ञों द्वारा फैक्ट्री तथा स्थल का निरीक्षण।
8. यदि अपेक्षित हो और जहां अपेक्षित हो, संस्थापन/फील्ड परीक्षण का निरीक्षण।
9. यदि लागू हो तो पहले से संस्थापित उत्पाद का निरीक्षण।
10. किसी स्वतंत्र प्रयोगशाला में नमूनों की जांच करवाना।
11. पूर्व उल्लिखित उपायों से जांच परीणामों और रिपोर्टों का संकलन, विशेषज्ञों द्वारा अध्ययन और मूल्यांकन।
12. यदि पीएसी प्रदान करने के लिए स्वीकार्य हो तो आवेदक के साथ विचार-विमर्श से मसौदा पीएसी तथा गुणवत्ता आश्वासन योजना तैयार करना।
13. चुनिंदा भवन विनियामक प्राधिकरणों, प्रमुख प्रयोक्ताओं, बीएमटीपीसी की तकनीकी मूल्यांकन समिति (टीएसी) के सदस्यों की राय हेतु पीएसी का सीमित वितरण।
14. टीएसी द्वारा पीएसी और सम्बद्ध दस्तावेजों पर विचार और उनका अनुमोदन। इस समय पीएसी की वैधता अवधि तय की जाती है।मसौदा पीएसी पर विचार किए जाने के समय टीएसी की बैठक में आवेदक को आमंत्रित किया जा सकता है।
15. आवेदक को पीएसी जारी करना।
16. पीएसी का मुद्रण, वितरण एवं बिक्री।
17. ''पीएसी न्यूजलेटर'', प्रेस नोट में प्रकाशन के माध्यम से और प्रमुख प्रयोक्ताओं तथा भवन विनियामक प्राधिकरणों को परिपत्र भेजकर प्रचार-प्रसार।
पीएसी जारी होने के बाद
1. आवधिक निगरानी निरीक्षण किए जाते हैं और निष्पादनता की समीक्षा की जाती है। यदि यह पाया जाए कि उल्लिखित शर्तों का पालन नहीं किया गया है तो पीएसी के निलम्बन/रद्द किए जाने सहित समुचित कार्रवाई की जाती है।
2. वैधता अवधि के दौरान निष्पादनता डाटा एकत्र किया जाता है और शिकायतों संबंधी डाटा, यदि कोई हो, सहित इस डाटा को वैधता तथा नवीकरण अवधि के दौरान समीक्षा हेतु प्रयोग में लाया जाता है।