भारतीय परिदृश्य तथा बीएमटीपीसी की भूमिका
प्रयोगशाला से धरातल तक
हमारी अनुसंधान संस्थाओं ने कृषि-औद्योगिक अपशिष्ट, जिनसे अन्यथा गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती, के उपयोग पर आधारति अनेक वैकल्पिक सामग्रियों एंव निर्माण प्रणालियों का विकास किया है।
इन नवाचारी भवन सामग्रियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा प्रयोगशाला से धरातल तक उनके हस्तांतरण को संभव बनाने के लिए, भवन सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) की स्थापना भारत सरकार द्वारा शहरी मामले एवं नियोजन मंत्रालय के तत्वावधान में एक अंतर-मंत्रालयीन शीर्ष संगठन के रूप में की गई है। नवाचारी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने, प्रमाणित प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों एवं उत्पादों की मात्रा बढ़ाने तथा विनिर्माण/उत्पादन इकाइयों की स्थापना को सुकर करने के लिए परिषद अनुसंधान एवं विकास, वित्त, औद्योगिक संवर्धन तथा आवासन के क्षेत्र से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करती है।
बीएमटीपीसी की काम करने की रणनीति:
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स्थानीय सामग्रियों एवं लागत प्रभावी, नवाचारी प्रौद्योगिकियों पर आधारित डिजाइन निर्माण की स्वस्थ प्रथाओं का संवर्धन।
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देशी कच्चा माल, कृषि-औद्योगिक अपशिष्ट तथा लागत एवं ऊर्जा दक्ष प्रक्रियाओं पर आधारित भवन सामग्रियों, घटकों, उत्पादों एवं प्रणालियों का संवर्धन।
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आधुनिक सूचना एवं प्रबंध प्रणालियों के आधुनिकीकरण एवं अंगीकरण के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार तथा लागत में कमी लाना।
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उत्पादन एवं विपणनीयता बढ़ाने के लिए तकनीकी, वित्तीय एवं राजकोषीय नीति सहायता।
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