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ईंट की चिनाई की दीवार

मसाल (सीमेंट, चूना, मिट्टी एवं बालू का मिश्रण) से एक दूसरे से बंधे ईंट से होने वाले निर्माण को ईंट की चिनाई के नाम से जाना जाता है। प्राचीन वाल से दीवार के निर्माण के अंग के रूप में ईंट को जाना जाता है। ईंट की गुणवत्ता मिट्टी के प्रकार एवं उत्पाेदन की विधियों पर निर्भर होती है। ईंट दो प्रकार की होती है - कच्ची एवं पक्की।

कच्चीस ईंटों का उत्पाटदन छोटे पैमाने पर औपचारिक यूनिटों में किया जा सकता है जिसके लिए कम पूंजी के अलावा मशीनरी एवं उपकरणों की भी कम जरूरत पड़ती है। एकमात्र महत्वनपूर्ण निवेश अकुशल श्रम है। इस प्रकार, उत्पाोदन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है। उत्पाटदन की यांत्रिक तकनीकों से 100 किमी प्रति वर्ग मीटर संपीडन शक्ति की ईंटों का निर्माण किया जा सकता है।

पक्की ईंटें मुख्यईत: तीन प्रकार की होती हैं अर्थात देहाती ईंट, मेज के सांचे वाली ईंट एवं तार से कटी ईंट। देहाती ईंट का निर्माण एकल चार कोने के सांचे से किया जाता है। इन ईंटों को मुलायम मिट्टी की प्रक्रिया से ढ़ाला जाता है जहां मिट्टी में पानी मिलाया जाता है और मांड़ा जाता है। समतल भूमि पर ढ़लाई की जाती है तथा गीली ईंटों को सूखने के लिए जमीन पर छोड़ दिया जाता है। सूखने के बाद ईंटों का ढ़ेर लगाया जाता है तथा जीवाश्मक ईंधन का प्रयोग करके उसे जलाया जाता है।

मेज के सांचे वाली ईंट कड़ी मिट्टी की बनती है तथा पांच कोने वाले सांचे का प्रयोग होता है। ढ़लाई के दौरान नमी का कम प्रयोग होने से ईंटों का आकार अच्छां हो जाता है तथा मजबूती भी बढ़ जाती है। सांचे को समतल मंच पर पलटकर गीली ईंट निकाली जाती है। सामान्यातया इन ईंटों के संस्ततर फलकों में से एक फलक परलटकनहोती है। इसके बाद इन ईंटों को छाया में सुखाया जाता है तथा भट्ठे - बुल्सए ट्रेंच किलन में लगातार पकाया जाता है। इस तरह के भट्ठे के लिए अधिक जमीन एवं पूंजीगत लागत की जरूरत होती है, तथापि यह भारत के उत्तसरी भाग में ईंट के उत्पाधदन का सबसे प्रचलित तरीका है। देहाती ईंट की तुलना में यह ईंट काफी मजबूत होती है तथा इसकी मजबूती 35 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर से लेकर 75 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर होती है।

तार से कटी ईंट का उत्पा दन अपेक्षाकृत अधिक यांत्रिक प्रचालन से होता है। चुनी गई मिट्टी को पर्याप्ते रूप में साना जाता है और फिर मिट्टी को लगातार स्लैयब में निस्स्रावित किया जाता है। इस स्लैंब को फिर तार के फ्रेम से अनेक ईंटों में काटा जाता है। सुखाने के बाद, ईंट को हाफ्मैने की भट्ठे में पकाया जाता है। इन ईंटों की मजबूती 100 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर से लेकर 200 किलो प्रति वर्ग सेंटीमीटर होती है। यह महंगी ईंट है, तथापि आरसीसी फ्रेम वाले निर्माण के स्थारन पर पांच मंजिले तक भार वाही निर्माण के लिए किफायती विकल्पआ के रूप में इनका प्रयोग किया जा सकता है। एनसीआर क्षेत्र में अनेक निर्माण यूनिटें हैं।

 

 
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