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हमारे देश में कंकरीट के ब्ला कों का प्रयोग 30 वर्ष से भी अधिक समय से हो रहा है। कंकरीट उत्पादन में लोच प्रदान करता है जो ईंट के निर्माण में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, ईंट निर्माण की तुलना में कंकरीट ब्लाकक के निर्माण में भूमि एवं पूंजी के रूप में अपेक्षित निवेश की मात्रा कम होती है। कंकरीट के ब्लाकों का उत्पादन ठोस या खोखले के रूप में, अधिक या कम वजन में, हवा से सुखाए गए या वाष्पर से सुखाए गए, भार वाही या गैर भार वाही ब्लापक के रूप में अनेक आकारों में हाथ से या मशीनों की सहायता से किया जा सकता है। खोखले ब्लाकों को ऐसे ब्लााकों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनमें मुख्यय चौड़ाई क्षेत्र सकल क्षेत्र से 25 प्रतिशत अधिक होता है तथा दोनों किनारों पर एक या दो सुराख खुले होते हैं।
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सबसे अधिक प्रयुक्तक होने वाले कंकरीट के ब्ला कों की अंकित लंबाई 40 सेमी, ऊंचाई 20 सेमी तथा चौड़ाई 8, 10, 15 एवं 20 सेमी होती है। इसके अतिरिक्तज, विविध प्रकार एवं विशेष आकार के गैर माडुलर ब्ला्क विभिन्न प्रयोजनों के लिए बाजार में उपलब्ध हैं।
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कंकरीट ब्लाक के लिए सामग्रियां:
सीमेंट: साधारण पोर्टलैण्डप सीमेंट, तेजी से जमने वाली पोर्टलैण्ड) सीमेंट, पीपीसी का प्रयोग किया जा सकता है। सीमेंट के स्थान पर पॉजोलैना अर्थात चावल की भूसी की राख, उड़न राख, आदि का आंशिक रूप में प्रयोग भी अनुमत है।
मिलावा: मोटा मिलावा के कणों का अधिकतम आकार 13 एमएम (खोखले ब्ला क के लिए 10 एमएम) है। बारीक मिलावा के अधिक अनुपात से बचाना चाहिए क्यों कि इनसे घनत्वे बढ़ता है।
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सीमेंट मिलावा का अनुपात: सीमेंट मिलावा का अनुपात अनुप्रयोग अर्थात भार वाही या गैर भार वाही के रूप में प्रयोग के आधार पर 1:6, 1:8, 1:10 तथा अधिकतम 1:16 जैसे विभिन्नअ अनुपातों के साथ परीक्षण द्वारा तय किया जाना चाहिए।
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पानी एवं सीमेंट का अनुपात: पेयजल का प्रयोग करना चाहिए। संसक्तिशीलता की पहचान के रूप में, हाथ में कंकरीट के डले को निचोड़ने पर अतिरिक्तस पानी नहीं दिखाई देना चाहिए, किंतु अगर चिकनी गोल धातु की छड़ या ट्यूब (व्यास 2 से 4 सेमी) पर नमूने को तेजी से रगड़ा जाए, तो सतह पर हल्का या फिल्मा या पेस्टय आ जाना चाहिए।
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उत्पादन
जत्था बनाना एवं मिलाना: आयतन या वजन के अनुसार मिलावा का जत्था बनाया जा सकता है किंतु वजन के अनुसार जत्था बनाना ज्यादा सटीक होता है। सीमेंट का जत्था केवल वजन के अनुसार या 50 किलो की समूची बोरी का प्रयोग करते हुए बनाया जाना चाहिए। तथापि, बाल्टी आदि का प्रयोग करके आयतन के अनुसार जत्था बनाना बिल्कुल स्वीकार्य है। यांत्रिक रूप से चलने वाली मिक्सिंग मशीनों से सर्वोत्तम मिश्रण प्राप्त होते हैं, फिर भी अगर हाथ से मिलाने का काम किया जाता है, तो यह कार्य समतल एवं कठोर सतह पर किया जाना चाहिए। संसक्ति प्राप्त करने के लिए पूरी तरह मिलाना आवश्यक है। चूंकि कंकरीट 30 से 60 मिनट के अंदर जमने लगता है, इसलिए उतना ही कंकरीट तैयार करना चाहिए जिसका ऐसा होने से पूर्व प्रयोग कर लिया जाए।
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ढ़लाई:
कंकरीट के ब्लाक अनेक विधियों से ढ़ाले जा सकते हैं जिनमें लकड़ी या स्टील के सांचे में कंकरीट को हाथ से कूट-कूटकर भरने से लेकर एग लेइंग मोबाइल मशीन एवं पूर्णत: स्वचालित अचल मशीनों से बड़े पैमाने पर उत्पादन शामिल है। ब्लाकों को हाइड्रोलिक या यांत्रिक टैम्पिंग मशीनों से ठोस बनाया जाता है तथा पूरी तरह ठोस होने तक कुछ सेकेण्ड के अंतर पर उनको प्रदोलित किया जाता है। यंत्रीकरण के अनुपात के अनुरूप सामान्यतया ब्लाकों की गुणवत्ता में सुधार होता है। ठोस हो जाने के तुरंत बाद ब्लाकों को सांचे से बाहर निकाल लिया जाता है।
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तराई: ब्लालकों को जमने एवं कठोर होने के लिए 24 घण्टेा तक छोड़ दिया जाता है और फिर उनका चट्टा लगाया जाता है। वाटर स्रे क से 21 दिन तक तराई की जाती है। जल्दीे से मजबूत बनाने के लिए वाष्प् की तराई का सहारा लिया जा सकता है।
ठोस एवं खोखले ब्लाकों के कई लाभ है, जैसे खर्चा कम, देखने में सुंदर, तापीय आराम में सुधार एवं स्वयं के वजन में कमी।
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बीआईएस ने कंकरीट ब्लाक के लिए न्यूनतम मजबूती 20 किलो प्रति वर्ग सेमी निर्धारित किया है।
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