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इस पद्धति में, दीवार के सेक्शन 115 एमएम मोटे बनाए जाते हैं तथा 230 x 230 एमएम के ईंट के पायों से इनको अलंकृत किया जाता है। पाए स्टिफनर का काम करते हैं तथा वैफल आकार से दीवार की स्थिरता बढ़ती है। दीवार का क्रास सेक्शन कम होने एवं परिणामी कमजोरी अनुपात के कारण दीवार बनाने की इस पद्धति से केवल दो मंजिला निर्माण संभव है। उत्तर प्रदेश के विकास प्राधिकरणों द्वारा आवासन परियोजनाओं में इस पद्धति का प्रयोग किया गया है।
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