कुल मिलाकर देखें, तो पक्की ईंट, स्टील एवं सीमेंट जैसी परंपरागत भवन निर्माण प्रौद्योगिकियों की लागत अधिक है, तथा इनमें ऊर्जा, खनिज, मिट्टी की ऊपरी परत, वन क्षेत्र आदि जैसे गैर-नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों का भारी मात्रा में उपयोग होता है। इनसे बाह्य सामग्रियों एवं जनशक्ति पर निर्भरता बढ़ती है, स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है तथा सामान्यतया इनसे प्रदूषण फैलता है।


निर्माण के लिए चुनी गई सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकियों में कार्यात्मक दक्षता तो होनी ही चाहिए, साथ ही स्थायित् एवं पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने के लिए निम्नलिखित कसौटियां भी पूरी होनी चाहिए:


  • जैव-भण्डारों को खतरे में डालें तथा प्रदूषण फैलाने वाली हों,
  • स्वपोषी हों तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दें,
  • प्रदूषणकारी अपशिष् को प्रयोज् सामग्री में परिवर्तित करें,
  • स्थानीय रूप से उपलब् सामग्रियों का प्रयोग करें,
  • स्थानीय हुनर, जनशक्ति एवं प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग करें,
  • आय का सृजन करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएं,
  • ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का प्रयोग करें,
  • लोगों के लिए सुगम् हों,
  • मौद्रिक लागत कम हो   
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