1990 से, लागत प्रभावी, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल नवीन निर्माण सामग्री और निर्माण प्रौद्योगिकियों को आपदा प्रतिरोधी प्रथाओं सहित बढ़ावा देने के लिए बीएमटीपीसी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवास के लिए एक व्यापक और एकीकृत दृष्टिकोण के संचालन की दिशा में काम कर रहा है। बीएमटीपीसी प्रयोगशाला से भूमि तक इन प्रौद्योगिकियों के प्रसार को सफलतापूर्वक सुगम बना रहा है। बीएमटीपीसी द्वारा प्रचारित प्रौद्योगिकियों को उन्नयन, मशीनीकरण, मानकीकरण, प्रसार, क्षमता निर्माण और क्षेत्र स्तर के अनुप्रयोग द्वारा समर्थित किया गया था। बीएमटीपीसी के प्रयास किफायती आवास और सतत विकास के संबंध में सक्षम वातावरण बनाने के लिए केंद्रित हैं।
बीएमटीपीसी ने राष्ट्र राश्ट्र की आकांक्षाओं के अनुसार, कई बार अपने लक्ष्यों और उद्देष्यों में सामंजस्य स्थापित किया है और निर्माण उद्योग में नवोन्मेष का मार्ग प्रशस्त किया है। जून 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के कार्यान्वयन के दौरान, दुनिया भर में वैकल्पिक और उभरती निर्माण पद्धतियों, जो न केवल गुणवत्तापूर्ण टिकाऊ आवास की त्वरित आपूर्ति कर सके हैं, बल्कि वह ढांचागत, व्यावहारिक तथा भारतीय मानकों में विनिर्दिष्ट सुरक्षा मानकों के अनुरूप भी हो, को देश में लाने की हमारी मुहिम को लोकप्रियता भी हांसिल हुई है। इसके अतिरिक्त, सस्ते मकान प्रदान करने के इस दुर्गम कार्य को पूरा करने के लिए ऐसी सर्वोत्तम निर्माण प्रणालियों, जो कहीं पर भी समय की कसौटी पर खरी एवं प्रमाणित प्रौद्योगिकी रही हों, को बीएमटीपीसी द्वारा अभिज्ञात किया जा रहा है, अध्ययन किया जा रहा है, मूल्यांकन किया जा रहा है और इन्हें प्रमाणित किया जा रहा है। प्रदर्शन निर्माण, लाइट हाउस परियोजनाओं और राज्यों के साथ मिलकर धरातल पर अनुप्रयोगों के लिए इन प्रणालियों को सीधे तौर पर भारतीय भू-जलवायुवीय दशाओं के अनुरूप प्रतिस्थापित किया जा रहा है। राज्य सरकारों सहित सार्वजनिक तथा निजी एजेंसियों से इन प्रणालियों के बारे में अच्छी प्रतिक्रियायें प्राप्त हुई हैं और ये वैकल्पिक प्रणालियां अब धीरे-धीरे गति पकड़ रही हैं तथा निर्माण परियोजनाओं में इनका उपयोग भी किया जाने लगा है।
क्षेत्र में उभरती प्रणालियों के व्यापक समर्थन, बेहतर प्रसार और पुनउर्पयोग के लिए, बीएमटीपीसी को आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत, उपयोग करते हुए भारत के विभिन्न भागों में प्रदर्शन आवास परियोजनाओं के निर्माण का कार्य सौंपा गया है। इसका उदेश्य “प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) - सबके लिए आवास मिशन” के अंतर्गत राज्यों में नई प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना एवं तकनीकी जानकारी का प्रसार करना है। प्रदर्शन आवास परियोजनाओं को नेल्लोर, आंध्र प्रदेश; भुवनेश्वर, ओडिशा; बिहारशरीफ, बिहार; औरंगाबाद जागीर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश; हैदराबाद, तेलंगाना; और पंचकुला, हरियाणा में पूरा कर लिया गया है। क्रियान्वयन के दौरान, राज्यों के इंजीनियरों, व्यावसायिकों और नीति निर्माताओं के साथ मिलजुल कर कार्य करते हुए राज्य स्तरीय संवेदी-कार्यक्रम एवं कार्यशालाएं आयोजित की गई ताकि उभरती प्रौद्योगिकियों को मुख्यधारा में लाया जा सके।
परिषद् ने कृषि-औद्योगिक कचरे पर आधारित कई निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकियों जैसे फ्लाईएश आधारित ईंटों/ब्लॉकों, सेलुलर हल्के वजन कंक्रीट, बांस आधारित सामग्री, खोई बोर्ड इत्यादि की शुरूआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आंशिक पूर्व-निर्माण एक अन्य क्षेत्र है जो परिषद् द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। पूर्व-निर्मित घटकों का उपयोग करते हुए, विभिन्न राज्यों में कई घरों का निर्माण प्रदर्शन उद्देश्यों के लिए किया गया है। उत्पादकता और गुणवत्ता में वृद्धि के लिए परिषद् ने आसानी से संचालित होने वाली सरल मशीनें विकसित की हैं, जिनका उपयोग पूरे देश में उत्साहजनक परिणामों के साथ निर्माण में किया जा रहा है। परिषद् भारत सरकार के वनों की बचत, मिट्टी की ऊपरी परत, पर्यावरण क्षरण, ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट उपयोग, आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन आदि से संबंधित नीतिगत हस्तक्षेप मामलों में भी सहायता देती है।
परिषद के प्रयासों से, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के निकट सहयोग में कई भारतीय मानक तैयार किए गए हैं, जैसे कि फ्लाईएश ईंटें, आरसीसी प्लांक और जॉइस्ट, बांस की चटाई नालीदार छत की चादरें आदि। बीएमटीपीसी और भारतीय मानकों के निर्माण के लिए बीआईएस को नवीन प्रौद्योगिकियों पर मानकों का मसौदा तैयार करता है। प्रदर्शन मूल्यांकन प्रमाणन योजना (PACS) के माध्यम से, परिषद नई और उभरती हुई सामग्रियों, प्रौद्योगिकियों और निर्माण प्रणालियों का प्रदर्शन मूल्यांकन कर रही है, जिन पर कोई मानक उपलब्ध नहीं हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न नवीन प्रणालियों और उत्पादों पर प्रदर्शन मूल्यांकन प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं।