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परिषद् की प्रमुख सेवाएं
विभिन्न अनुसंधान और विकास संस्थाओं, मंत्रालयों/सरकारी विभागों, विश्वविद्यालयों, वित्तीय संस्थाओं, सार्वजनिक एजेंन्सियों, व्यावसायिक संघों/संगठनों तथा यूएनआईडीओ, यूएनसीएचएस, एडीबी, विश्व बैंक आदि जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपने व्यापक संबंध-सम्पर्क के जरिए परिषद निर्माण तथा भवन के क्षेत्र में विभिन्न संबंधित पक्षों को अनेक प्रकार की वैज्ञािनक एवं प्रौद्योगिक सेवाएं देने का प्रयास करती है।
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कृषि तथा औद्योगिक अपशिष्टों पर आधारित प्रौद्योगिकियों और निर्माण सामग्रियों का पता लगाने और उनका विकास करने में सहायता देना तथा ग्रामीण और शहरी मकान निर्माण के लिये प्रामाणिक प्रौद्योगिकियों का प्रोत्साहन देना।
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प्रौद्योगिकी चयन, प्रोटो-टाइप विकास, व्यावसायिक उत्पादन तथा विपणन में उद्यमियों को सलाह देना और प्रशिक्षण तथा विकास/निर्माण प्रक्रिया/प्रौद्योगिकियों के स्तर को बढ़ाने एवं संबंधित उपकरणों की खरीद आदि के लिये समुचित सहयोग देना।
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विदेशों से प्रौद्योगिकी अंतरण के लिये और विदेशी प्रौद्योगिकियों के चयन तथा मूल्यांकन में सहायता देना।
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प्रौद्योगिकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन करना तथा नई ऊर्जा क्षम निर्माण सामग्रियों/उत्पादों और निर्माण प्रणालियों के संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्टें तैयार करना।
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ग्रामीण कारीगरों, दस्तकारों को प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता के निर्माण और कौशल के विकास में सहायता करना तथा स्थानीय सामग्रियों, कौशल और श्रम शक्ति का उपयोग करके आसान निर्माण घटकों के उत्पादन में सहायता करना एवं इंजीनियरों, वास्तुकारों, नगर नियोजकों, ठेकेदारों तथा निर्माण प्रबंधकों जैसे पेशेवरों के लिये समय-समय पर प्रशिक्षण और प्रबोधन पाठ्यक्रमों का आयोजन करने वाले राष्ट्रीय, राज्यीय तथा स्थानीय स्तर के संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना ताकि नई निर्माण सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग में विश्वास पैदा किया जा सके।
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नई निर्माण सामग्रियों और निर्माण प्रौद्योगिकियों का कार्यनिष्पादन मूल्यांकन प्रमाणन स्कीम के जरिये मूल्यांकन, विधि मान्यता, प्रमाणन तथा मानकीकरण।
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उत्पाद तथा उपयोग के जरिये प्रौद्योगिकी का प्रयोगशाला से क्षेत्र में अंतरण करने वाले निकासी केन्द्र के रूप में सेवा देती है तथा पारम्परिक और नव-विकसित निर्माण सामग्रियों सहित सभी प्रकार की निर्माण सामग्रियों जिनका भारत तथा विदेशों में विकास हो रहा है, के बारे में जानकारी रखने वाली संस्था के रूप में भी कार्य करती है।
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केन्द्र तथा राज्य सरकार की एजेंसियों और निजी तथा सामुदायिक क्षेत्रों में कार्यरत आवास विकास एवं निर्माण एजेंसियों और संगठनों को इस बात के लिये प्रेरित करती है कि वे प्रामाणिक किफायती तथा ऊर्जा क्षम निर्माण सामग्रियों और निर्माण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करें।
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सरकार, सार्वजनिक तथा निजी एजेंसियों/निकायों की आवास परियोजनाओं और स्लम विकास कार्यक्रमों में नई निर्माण सामग्रियों और निर्माण तकनीकों को अपनाने तथा उनका प्रयोग करने के संबंध में डिजाइन सेवाएं देना।
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आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हुई क्षति का शीघ्र मूल्यांकन अध्ययन करना तथा आपदा-सह निर्माण प्रौद्योगिकियों का विकास करना और उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना।
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आपदा के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से आपदा के प्रभाव के जोखिम के मूल्यांकन के संबंध में सलाह देना और राहत, पुन: निर्माण तथा पुनर्वास कार्यक्रम तैयार करने के संबंध में सलाह देना और आपदा के प्रभावों से बचने के लिये तैयारी करने हेतु क्षमता निर्माण करने में सहायता देना।
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प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) कार्यक्रम के अधीन भारत सरकार की मूल्यांकन तथा मानीटरिंग एजेंसी।
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