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  कार्यकारी निदेशक के डेस्क से

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  नई पहलें : उभरती प्रौद्योगिकियां
 
 

बीएमटीपीसी क्या है?

नई भवन सामग्री प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास तथा बड़े पैमाने पर उनके उपयोग के बीच अंतर को पाटने के उद्देश् से तत्कालीन शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने जुलाई 1990 में निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद की स्थापना की थी।

मिशन
आपदा सह निर्माण सहित टिकाऊ निर्माण सामग्री, समुचित निर्माण प्रौद्योगिकियों एवं प्रणालियों के क्षेत्र में आम आदमी की आवास जरूरतों पर विशेष ध्या केन्द्रित करते हुए सभी को निर्माण संबंधी समाधान प्रदान करने के उद्देश्यू से बीएमटीपीसी को विश्वक स्तेरीय ज्ञान और प्रदर्शन का केन्द्र बनाना

दृष्टि

स्थानीय रूप से उपलब्धी निर्माण सामग्रियों सहित बेहतर, किफायती, पर्यावरण अनुकूल, आपदा-सह सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों को प्रयोगशाला से वास्तरविक उपयोग स्तकर तक लाने हेतु प्रोत्सारहन तथा हस्तांंतरण के द्वारा भवन आवासों के सतत स्था यी विकास हेतु व्याापक तथा एकीकृत दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कार्य करना

उद्देश्य

  • आवास और निर्माण के क्षेत्र में किफायती नई निर्माण सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकियों के विकास, उत्पादन, मानकीकरण तथा बड़े पैमाने पर उनके उपयोग को प्रोत्साहन देना।
     
  • तकनीकी सहयोग के माध्यम से तथा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन ईकाइयों की स्थापना हेतु उद्यमियों को प्रोत्साहित करके अपशिष् आधारित नई निर्माण सामग्रियों और संघटकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।
  • प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभावों को कम करने तथा आपदा प्रबंधन और मानव बस्तियों में आपदा-सह डिजाइन एवं आयोजना सहित भवनों की रिट्रोफिटिंग/पुन:निर्माण हेतु तौर-तरीकों तथा प्रौद्योगिकियों का विकास करना और उन्हें प्रोत्साहित करना।
  • निर्माण सामग्रियों तथा निर्माण के क्षेत्र में प्रयोगशाला से लेकर वास्तविक उपयोग में लाने तक के लिये प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण हेतु चयन, मूल्यांकन, उन्नयन, डिजाइन इंजीनियरिंग, कौशल उन्नयन तथा विपणन में पेशेवरों, निर्माण एजेंसियों और उद्यमियों को एस एंड टी सेवाएं देना।

 परिषद् की प्रमुख सेवाएं

विभिन् अनुसंधान और विकास संस्थाओं, मंत्रालयों/सरकारी विभागों, विश्वविद्यालयों, वित्तीय संस्थाओं, सार्वजनिक एजेंन्सियों, व्यावसायिक संघों/संगठनों तथा यूएनआईडीओ, यूएनसीएचएस, एडीबी, विश् बैंक आदि जैसे विभिन् अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपने व्यापक संबंध-सम्पर्क के जरिए परिषद निर्माण तथा भवन के क्षेत्र में विभिन् संबंधित पक्षों को अनेक प्रकार की वैज्ञािनक एवं प्रौद्योगिक सेवाएं देने का प्रयास करती है।

  • कृषि तथा औद्योगिक अपशिष्टों पर आधारित प्रौद्योगिकियों और निर्माण सामग्रियों का पता लगाने और उनका विकास करने में सहायता देना तथा ग्रामीण और शहरी मकान निर्माण के लिये प्रामाणिक प्रौद्योगिकियों का प्रोत्साहन देना।
  • प्रौद्योगिकी चयन, प्रोटो-टाइप विकास, व्यावसायिक उत्पादन तथा विपणन में उद्यमियों को सलाह देना और प्रशिक्षण तथा विकास/निर्माण प्रक्रिया/प्रौद्योगिकियों के स्तर को बढ़ाने एवं संबंधित उपकरणों की खरीद आदि के लिये समुचित सहयोग देना।
  • विदेशों से प्रौद्योगिकी अंतरण के लिये और विदेशी प्रौद्योगिकियों के चयन तथा मूल्यांकन में सहायता देना।
  • प्रौद्योगिकी-आर्थिक व्यवहार्यता अध्ययन करना तथा नई ऊर्जा क्षम निर्माण सामग्रियों/उत्पादों और निर्माण प्रणालियों के संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्टें तैयार करना।
  • ग्रामीण कारीगरों, दस्तकारों को प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता के निर्माण और कौशल के विकास में सहायता करना तथा स्थानीय सामग्रियों, कौशल और श्रम शक्ति का उपयोग करके आसान निर्माण घटकों के उत्पादन में सहायता करना एवं इंजीनियरों, वास्तुकारों, नगर नियोजकों, ठेकेदारों तथा निर्माण प्रबंधकों जैसे पेशेवरों के लिये समय-समय पर प्रशिक्षण और प्रबोधन पाठ्यक्रमों का आयोजन करने वाले राष्ट्रीय, राज्यीय तथा स्थानीय स्तर के संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित करना ताकि नई निर्माण सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग में विश्वास पैदा किया जा सके।
  • नई निर्माण सामग्रियों और निर्माण प्रौद्योगिकियों का कार्यनिष्पादन मूल्यांकन प्रमाणन स्कीम के जरिये मूल्यांकन, विधि मान्यता, प्रमाणन तथा मानकीकरण।
  • उत्पाद तथा उपयोग के जरिये प्रौद्योगिकी का प्रयोगशाला से क्षेत्र में अंतरण करने वाले निकासी केन्द्र के रूप में सेवा देती है तथा पारम्परिक और नव-विकसित निर्माण सामग्रियों सहित सभी प्रकार की निर्माण सामग्रियों जिनका भारत तथा विदेशों में विकास हो रहा है, के बारे में जानकारी रखने वाली संस्था के रूप में भी कार्य करती है।
  • केन्द्र तथा राज् सरकार की एजेंसियों और निजी तथा सामुदायिक क्षेत्रों में कार्यरत आवास विकास एवं निर्माण एजेंसियों और संगठनों को इस बात के लिये प्रेरित करती है कि वे प्रामाणिक किफायती तथा ऊर्जा क्षम निर्माण सामग्रियों और निर्माण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करें।
  • सरकार, सार्वजनिक तथा निजी एजेंसियों/निकायों की आवास परियोजनाओं और स्लम विकास कार्यक्रमों में नई निर्माण सामग्रियों और निर्माण तकनीकों को अपनाने तथा उनका प्रयोग करने के संबंध में डिजाइन सेवाएं देना।
  • आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हुई क्षति का शीघ्र मूल्यांकन अध्ययन करना तथा आपदा-सह निर्माण प्रौद्योगिकियों का विकास करना और उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • आपदा के प्रभाव को कम करने के उद्देश् से आपदा के प्रभाव के जोखिम के मूल्यांकन के संबंध में सलाह देना और राहत, पुन: निर्माण तथा पुनर्वास कार्यक्रम तैयार करने के संबंध में सलाह देना और आपदा के प्रभावों से बचने के लिये तैयारी करने हेतु क्षमता निर्माण करने में सहायता देना।
  • जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन कार्यक्रम के अधीन भारत सरकार की मूल्यांकन तथा मानीटरिंग एजेंसी।

 

 
सभी के लिए किफायती आवास हेतु अनुकूल माहौल तैयार करना..... 1990 से
 
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