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छत/फर्श के प्रकार

छत/फर्श का निर्माण करने के अनेक तरीके हैं। भारत में सामान्यत- मजबूत कंक्रीट की छत प्रचलित है। तथापि लकड़ी, लोहे, बांस और पुराल तथा फूंस, टाइलों, . सी. शीटों इत्यादि जैसी सामग्री की स्थानीय उपलब्धता के आधार पर छतों और फर्शों के कुछ विकल् प्रचलित है। इस सम्बंध में अन् विकल् मजबूत कंक्रीट का इन-सीटू स्लैब बनाना अथवा आर. सी. सी. की प्लैंक तथा ज्योइस् पद्धति से पहले से ही बनाई गई छत, फेरो सीमेन् चैनल, ब्रिक वोल्ट्स इत्यादि है। मजबूत कंक्रीट फर्श के निर्माण के मुख् प्रकार : (i) बीम और स्लैब, (ii) वाफ्ले ग्रिड स्लैब, (iii) ड्राप बीम और स्लैब तथा (iv) फ्लैट स्लैब हैं।

 (i) बीम और स्लैब फर्श

सामान्यत: यह सर्वाधिक किफायती है और इसीलिए मजबूत कंक्रीट संरचना के लिए फर्श निर्माण का सर्वाधिक प्रचलित प्रकार हैा एक आयताकार कालम बीम और छत को टिकाए रखता है जैसाकि बांए हाथ की ओर बनाए गए रेखाचित्र में दर्शाया गया है। इस प्रकार का फर्श शटरिंग करने पर कास्-इन-सीटू हो सकता है और यह फोर्म वर्क हो सकता है। इस प्रकार का फर्श प्रिकास् मजबूत कंक्रीट फर्श बीम, प्लैंक, टी बीम अथवा बीम और इनफिल ब्लाक से बनाया जा सकता है जिसमें बहुत कम सपोर्ट अथवा किसी अस्थायी सपोर्ट की आवश्यकता होती है तथा जिसके ऊपर स्कीड अथवा संरचना कंक्रीट टोपिंग फैलायी जाती है। प्रिकास् बीम और प्लैंक फर्श को शटरिंग के रूप में किसी अस्थायी सपोर्ट की आवश्यकता नही होती। इन प्रिकास् फर्श पद्धतियों का यह लाभ है कि कंक्रीट बिछाने में स्थल पर किए जाने वाले और संरचना सम्बंधी कार्य को करने में श्रम की बचत होती है। सर्वाधिक प्रचलित प्रिकास् फर्श का विवरण नीचे दिया गया है :-
इस पद्धति का यह लाभ है कि अत्यधिक बड़ी हालों कंक्रीट फर्श यूनिटों की अपेक्षा हल्की प्लैंक अथवा बीम और फिलर ब्लाक को बहुत आसानी से ऊपर उठाया जा सकता है और यथा-उपयुक् स्थान पर रखा जा सकता है।

प्रिकास् हालो फर्श यूनिट :
इस प्रकार के फर्श में विभिन् आकार की बड़ी प्रिकास् मजबूत कंक्रीट हालों फर्श यूनिट होती है। फर्श यूनिट में वोइड्स अथवा हालों का उद्देश् फर्श की क्षमता को प्रभावित किए बिना अचल भार को कम करना है। हालों के मध् वेब् में रीइन्फार्समेन् को रखा जाता है।

हालों फर्श यूनिट किसी फर्श स्क्रीड के साथ फर्श के स्लैब के रूप में उपयोग की जा सकती है अथवा ये बीम के साथ समग्र कार्य के लिए बीम के ऊपर टाइ बार से संरचनात्मक मजबूत कंक्रीट टोपिंग के साथ उपयोग में लायी जा सकती है। बायीं हाथ की ओर की आकृति में प्रिकास् हालों फर्श यूनिट के महत्वपूर्ण उद्धरण को दर्शाया गया है। इन्हें भारतीय मानक की प्रिकास् मजबूत कंक्रीट कोर्ड यूनिट छत/फर्श कहा जाता है।  

 

प्रिकास् कंक्रीट प्लैंक फर्श यूनिट :

ये अपेक्षाकृत पतली, मजबूत ठोस प्लैंक, कंक्रीट फर्श यूनिट स्थायी शटरिंग और संरचनात्मक मजबूत कंक्रीट टोपिंग वाले समग्र कार्य के लिए डिजाईन की गई है। जैसाकि दाहिने हाथ की ओर के चित्र में दर्शाया गया है। जब तक कंक्रीट टोपिंग पर्याप् रूप से मजबूत हो तब तक इन प्लैंक के नीचे उपयुक् रूप से सहारा देने की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा।

लोकप्रिय कंक्रीट प्लैंक फर्श यूनिट को भारतीय मानकों के अनुसार प्रिकास् मजबूत कंक्रीट प्लैंक तथा ज्योइस् पद्धति के रूप में जाना जाता है जिसमें 300 मिलीमीटर चौड़ी, आंशिक रूप से 60 मिलीमीटर पतली और अधिकतम 1.5 मीटर लम्बी प्लैंक होती है।

प्रिकास् बीम और फिलर ब्लाक फर्श :

फर्श की इस पद्धति में प्रिकास् मजबूत कंक्रीट प्लैंक अथवा बीम होते हैं जो हालों कंक्रीट फिलर ब्लाकों को संभालते हैं। जैसाकि दायें हाथ के रेखाचित्र में दर्शाया गया है। प्लैंक अथवा बीम को सपोर्ट के मध् फिलर ब्लाकों के ऊपर कंक्रीट टोपिंग बिछायी जाती है। प्लैंक के ऊपर से बाहर निकला हुआ मजबूत भाग मजबूत कंक्रीट बीम बनाने के लिए कंक्रीट टोपिंग के साथ कार्य करता है।

(ii) वाफ्ले ग्रिड स्लैब फर्श :

यदि कालम ग्रिड को लगभग 6.0 से 12.0 वर्ग तक अथवा इसके लगभग वर्ग तक बढ़ाया जाता है तो यह किसी पतले फर्श वाली स्लैब की सपोर्ट के साथ मध्यस् क्रास बीम वाले फर्श का उपयोग करने में किफायती होती है। जैसाकि आकृति में दर्शाया गया है। मध्यस् क्रास बीम रेग्यूलर वर्ग ग्रिड पर डाला जाता है जो फर्श की निचली ओर वाफ्ले प्रतीत होती है इसीलिए इसका नाम वाफ्ले ग्रिड स्लैब फर्श है। वाफ्ले के मध्यस् बीम का यह लाभ है कि ये पतली फर्श स्लैब को सपोर्ट देते हैं और इस प्रकार ये इसी तरह की फ्लैश स्लैब की तुलना में फर्श के अचल भार को कम करते हैं। इस फर्श का उपयोग वहॉं किया जाता है जहॉं चौड़े स्थान वाला वर्ग कालम अनिवार्य होता है और फर्श को अपेक्षाकृत भारी भार को सपोर्ट देनी होती है। इस प्रकार के फर्श के वाफ्ले ग्रिड स्वरूप को लकड़ी/लोहे की कंक्रीट पर प्लास्टिक अथवा धातु के फार्मर में डाला जा सकता है ताकि साफ्फिट की बेहतर फिनिश को खुला छोड़ा जा सके।

ड्राप स्लैब फर्श :

इस प्रकार के फर्श के निर्माण में एक फर्श स्लैब होती है जो कालम के मध् पतली होती है किन्तु बीम में चौड़ी होती है। ड्राप स्लैब फर्श लगभग उतने ही अचल भार की होती है और इसकी लागत स्लैब तथा बीम फर्श के समान ही होती है तथा यह स्लैब के ऊपर से बीम की साफ्फि तक फर्श के निर्माण के आधी गहराई तक होगी। 12.0 वर्ग मीटर कालम ग्रिड पर स्लैब की समग्र गहराई तथा फर्श के बीम लगभग 1.2 मीटर के होंगे जबकि ड्राप स्लैब फर्श की गहराई लगभग 600 मिलीमीटर होगी। इस प्रकार के अन्तर से बहुमंजिला भवन के निर्माण की समग्र ऊँचाई में काफी कमी होगी तथा इससे लागत में भी पर्याप् बचत होगी।            

           

फ्लैट स्लैब (प्लेट) फर्श :

इस प्रकार के फर्श के निर्माण में नीचे खड़े बीम के बिना स्लैब पूरी तरह एक समान रूप से पतली होती है और कालम से सपोर्ट के बिन्दुओं के मध् इसके साथ सीधा जुड़ा मजबूत स्थान होता है। कालम और फर्श के जोड़ को टूटने से बचाने के लिए पर्याप् मजबूती की व्यवस्था करने के सम्बंध में प्राय: होंच् अथवा वर्गाकार कालम बनाए जाते हैं। जैसाकि आकृति में दर्शाया गया है। किन्तु इस फर्श का अचल भार तथा इसकी लागत पहले उल्लिखित फर्श पद्धति की अपेक्षा अधिक है तथापि इसकी गहराई कम है और इसीलिए बाद में बहुमंजिला भवनों के निर्माण में कम से कम गहराई के सम्बंध में तो इससे लाभ प्राप् होता ही है। उपर्युक् उल्लिखित फर्श पद्धति में फर्श स्लैब का निर्माण ठोस मजबूत सामग्री अथवा हालों अथवा बीम अथवा प्लैंक फर्श पद्धतियों में से किसी एक पद्धति से किया जा सकता है।

आधुनिक भवनों में एक भ्रामक सीमा के बाद भी एयर कंडीशनर, गर्मी प्रदान करने वाले, रोशनी की व्यवस्था करने वाले तथा अग्निशमन सेवाओं से सम्बंधित अन् उपकरणों को फर्शों की साफ्फिट पर चलाने की आम प्रथा है और इन सेवाओं के लिए कुछ गहराई की जरूरत होती है जिसके लिए न्यूनतम फर्श ऊॅंचाई की व्यवस्था करनी होती है। इसके बावजूद बीम और स्लैब अथवा वाफ्ले ग्रिड फर्श पद्धति स्वयं में सर्वाधिक किफायती निर्माण पद्धति है तथापि जहां इस प्रकार की सेवाएं नीचे फिक् की जानी होती है वहॉं ये सेवाएं बेहतर नहीं हो सकती और इस प्रकार स्लैब के ऊपरी हिस्से से निचली भ्रामक सीमा की साफ्फिट तक फर्श की समग्र गहराई में वृद्धि की जाती है क्योंकि ये सेवाएं बीम के नीचे से प्रदान करनी होगी तथा इससे भ्रामक सीमा तथा स्लैब की साफ्फिट के मध् गहराई बढ़ानी पड़ेगी। निर्माण की समग्र ऊँचाई को कम से कम रखने तथा लागत में इससे सम्बंधित बचत करने के लिए फ्लैट स्लैब अथवा ड्राप स्लैब फर्श की लागत को वहन करना किफायती होगा।

 
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